कल से सभी माता-पिता,भाई-बहन और रिश्तेदार अपने-अपने घर के बारहवीं के बच्चे को टैग करके बधाईयाँ लिख रहे है ,खुद को उनके माँ बाप या रिश्तेदार या गुरु होने पर गर्व महसूस कर रहे है | लिख रहे है की उनके बच्चे ने 92 या 93 या इससे ज्यादा प्रतिशत नंबर लाये |
मैं बस ये पूछना चाहती हूँ कि हम 80 प्रतिशत या उससे कम प्रतिशत वाले बच्चे को क्यों नही सोशल मीडिया पर टैग करके बधाईयाँ दे रहे है ??
कोई रिश्तेदार क्यों ये नही लिख रहा हैं कि “मेरे भतीजे या भतीजी ने बारहवीं के परीक्षा में 50 प्रतिशत नंबर लाकर जिंदगी के एक पराव को सफलतापूर्वक पार किया हैं |” मुझे अपने भतीजे या भतीजी पर गर्व है और मैं इसके बेहतरीन भविष्य की कामना करता हूँ |
ये कोई नही करेगा |
लेकिन जैसे ही किसी न्यूज़ चैनल पर कोई खबर देखेगे कि किसी बारहवीं के बच्चे ने कम नंबर के कारण सुसाइड कर लिया तब सबका सोशल मीडिया पर पोस्ट जरुर आएगा ,
A single sheet of paper can’t decide your future.
Marks don’t matter.
और सच में ये नंबर मायने नही रखते तो क्यों हम celebrate नही कर रहे उन बच्चे की सफलता को जो सफल तो हुए है पर 90 का टैग नही लगा पाए अपने माथे पर? शायद इसलिए क्योंकि अपने साथ कुछ और भी हुनर ले कर आये हैं जिसके बारे में कोई बात ही नही कर रहा ?
कौन जिम्मेदार होंगा उस बच्चे का?
सवाल आसान है पर जवाब बहुत मुश्किल | और मेरे ख्याल से जवाब ढूंढने से कुछ होंगा भी नही ,हम सबको साथ आना होंगा और ख़त्म करनी होंगी ये दिवार | तो आईये हम celebrate करते 90% वाले को भी और 50% वाले को भी|
क्योंकि एक पूरक सामाज और देश के लिए ,
डॉक्टर भी चहिये और पेंटर भी ,
इंजिनियर भी चाहिए और लेखक भी ,
साइंटिस्ट भी चाहिए और एक्टर भी,
CA भी चाहिए और बिजनेसमैन भी ,
IAS भी चाहिए और क्रिकेटर भी ,
बाकि लिस्ट बहुत लम्बी हैं !
तो आईये सफलता के साथ-साथ उस असफलता को भी celebrate करते हैं जो की दूसरी सफलता की कहानी लिखने को तैयार है |